देवी रुक्मिणी अपने पूरे माथे पर सिन्दूर क्यों लगाती हैं?

 देवी रुक्मिणी अपने पूरे माथे पर सिन्दूर क्यों लगाती हैं?


बात उस समय की है जब देवी रुक्मिणी भगवान कृष्ण की एकमात्र पत्नी थीं,उस समय सत्राजित की स्यामंतक मणि के खो जाने पर चोरी का आरोप भगवान कृष्ण पर लगा,तब भगवान कृष्ण उस स्यामंतक मणि की खोज में जाम्बवंत की गुफा में गए थे। वहाँ उन्होंने जाम्बवंत के साथ 28 दिनों तक भयंकर युद्ध किया। एक दिन भगवान कृष्ण के सैनिकों ने गुफा से खून बहता देखा और उन्हें डर लगा कि उनके भगवान कभी वापस नहीं आएंगे। जब द्वारका के लोगों ने यह सुना, तो दहशत फैल गई और वे निराशा में रोने लगे।पर देवी रुक्मिणी ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया।

 वो दृढ़ निश्चयी होकर, सीधे माता पार्वती के मंदिर गईं और देवी से अपने कृष्ण की रक्षा करने के लिए प्रार्थना की, भले ही इसके लिए उन्हें अपने जीवन का बलिदान देना पड़े। उनकी भक्ति से प्रेरित होकर, दयालु माता गौरी देवी रुक्मिणी के सामने प्रकट हुईं। बिना कुछ कहे, उन्होंने धीरे से देवी रुक्मिणी के पूरे माथे पर सिंदूर लगा दिया। उस समय देवी रुक्मिणी को समझ में आ गया कि उनके कृष्ण सुरक्षित है। 

खुशी के कारण उनकी आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने देवी का आभार व्यक्त किया।

 उस दिन से देवी रुक्मिणी हमेशा अपने माथे पर सिंदूर लगाती रहीं।

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